शनिवार, 16 मई 2020

गांव

गांव का दर्द बस इतना सा है
उस आंचल में पैदा हुआ है लेकिन एक दिन उसे   छोड़कर जाता है
शहर की विकासशील रोशनी में
गांव कहीं अंधेरे में खो जाता है

लेकिन अस्तित्व उसका भी है
शहर की भीड़भाड़ से कहीं शांत नजर आता है
कुछ पल के लिए खुशियां मिलती हैं
जब वह बिछड़े को अपने करीब पाता है


अपने खेतों में फिर हो वो  मशरूफ हो जाता है
शहरों की खुशियों के खातिर
अपने इस दर्द को छुपाता है
गांव का दर्द बस इतना है

2 टिप्‍पणियां:

कहानी संघर्ष की।

 कहानी संघर्ष की।                                                                                                          2023 के संघर्ष  क...