कहते हैं शराब बुरी है पीने के बाद होश रहता नहीं
हम कहते हैं इंसान बुरा पीने के बाद मदहोशी में रहता है
चले जाते हैं छोड़ कर दामन क्या शराब में ऐसा नशा है
फिर कहते हैं कि इंसान बुरा है
हर दर्द की दवा मुमकिन नहीं होती
पीने के बाद दुनिया अपनी नहीं होती
जो शौक के लिए पीता है वह परेशान रहता है
और जो अपनी हद में पीता है वही इंसान होता है
कहते हैं शराब बुरी है पीने के बाद होश रहता है
मयखाने में बैठकर झूम झूम के पीते हैं
जमाने वाले इनहे शराबी कहते हैं
उनको तो पता है कि उनकी मंजिल कहां है
कोई तो घर में कोई सड़कों पर झूम रहा है
पीने के बाद उनके लिए सारा जहां वही है जहां वो पिके पड़ा है
कहते हैं कि शराब बुरी है पीने के बाद होश रहता नहीं



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