एक घर है मेरे बगल में अपना सा लगता है।
वेशभूषा अलग है पर चेहरा अपना सा लगता है।
हर खुशी और दुख में साथ हमारे रहते हैं।
वह कह रहे हैं पर कहीं अपनों से अच्छे लगते हैं।
कभी नहीं पूछा जाती तुम्हारी क्या है।
क्योंकि उनका घर भी अब अपना सा लगता है।
बचपन की यादों में गुड्डे गुड़ियों के खेलन मैं बीता है।
दूर कहीं शहर में रहते थे पर अपना सा लगता है
एक घर है मेरे बगल में वह भी अपना सा लगता है।
रिश्तो की क्या अहमियत होती है और फोन कैसा दिखता है
बेफिक्रे से रहते हैं वह अपनों से लगते हैं।
आपस में प्रेम व्यवहार शिष्टाचार था और दिल में सभी के लिए प्यार था।
समय बदल गया स्थितियां विपरीत होने लगी।
प्यार के कई रिश्ते थे अब दूरियां होने लगी
देखकर तरक्की उनकी हम खुश होने लगे वह आगे बढ़े और हम भी बढ़ने लगे।
इस बीच रिश्तो में कहीं खालीपन रह गया हम दोनों के बीच में कोई तीसरा आ गया
आपस में मतभेद हमें प्यार से सुलझा लेते उस खालीपन को हम प्यार से ही भर देते हैं
पर अब मंजिल बदल गई वह हमसे दूर हो गए और हम आज भी उनका इंतजार करते रहे।
एक घर है मेरे बगल में वह अपना सा लगता है।
ऐसे भी कुछ अपने पड़ोसी हैं जो तरक्की की राह में आगे निकल गए।
अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए छोड़ कर चल दिए।
सर्च हमारा भी बनता है उसे अकेले ना जाने दे।
अपनी सुरक्षा तो है उसे सुरक्षित कर लेते।
तरक्की करना अच्छी बात है पर उसके साथ कुछ गलत ना होने दें
हर समस्या का निवारण मात्र विचारों से होता है।
मतभेद भुलाकर एक साथ चलें पड़ोसी ऐसे ही तो होते हैं।
एक दोस्त की तरह उसकी गलतियों को बताते रहे।
कहते हैं अगर सुबह का भूला शाम को लौट कर घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते
हम आपस में मित्र हैं कहीं एक परिवार
कहीं तीसरे के आने के कारण रिश्तो को खत्म नहीं करते।
शौक का नशा थोड़े दिनों का होता है आपस का प्यार इससे कहीं गुना अच्छा होता।
अब तो सीमाएं भी अलग नहीं होने देती जो भी होगी शांति चाहती है
रिश्तो की मिठास के लिए दोस्ती का पैगाम देती है
अच्छे पड़ोसी हमेशा साथ खड़े रहते हैं आपस की समझ तुझसे ही मित्र बने रहते हैं।
नक्शे में कई मकान है सीमाओं पर लकीरें अलग अलग कर देती हैं। ना तुम दूर हुए और ना हम दूर हो हो पाए
समय के बदलते हुए दौर में हम दोनों ही थोड़े मजबूर हुए हैं।
भविष्य की चाहत में अपनों में बैर बना बैठे समय की इस खालीपन में हम क्यों अपनों से दूर हो गए।
दीवारों के कुछ झरोखों से तेरी सूरत देख जाती है
नफरत की फसलों को ना बोल इसे बंजर ही रहने दे
उम्मीदों के बीज बचा कर रखें आने वाले पीढ़ी के लिए,
अपने पड़ोसियों के घर में एक दिया जलाकर रखें
एक घर मेरे बगल में है वह अपना सा लगता है
🌹 Rkumar,🌹
वेशभूषा अलग है पर चेहरा अपना सा लगता है।
हर खुशी और दुख में साथ हमारे रहते हैं।
वह कह रहे हैं पर कहीं अपनों से अच्छे लगते हैं।
कभी नहीं पूछा जाती तुम्हारी क्या है।
क्योंकि उनका घर भी अब अपना सा लगता है।
बचपन की यादों में गुड्डे गुड़ियों के खेलन मैं बीता है।
दूर कहीं शहर में रहते थे पर अपना सा लगता है
एक घर है मेरे बगल में वह भी अपना सा लगता है।
रिश्तो की क्या अहमियत होती है और फोन कैसा दिखता है
बेफिक्रे से रहते हैं वह अपनों से लगते हैं।
आपस में प्रेम व्यवहार शिष्टाचार था और दिल में सभी के लिए प्यार था।
समय बदल गया स्थितियां विपरीत होने लगी।
प्यार के कई रिश्ते थे अब दूरियां होने लगी
देखकर तरक्की उनकी हम खुश होने लगे वह आगे बढ़े और हम भी बढ़ने लगे।
इस बीच रिश्तो में कहीं खालीपन रह गया हम दोनों के बीच में कोई तीसरा आ गया
आपस में मतभेद हमें प्यार से सुलझा लेते उस खालीपन को हम प्यार से ही भर देते हैं
पर अब मंजिल बदल गई वह हमसे दूर हो गए और हम आज भी उनका इंतजार करते रहे।
एक घर है मेरे बगल में वह अपना सा लगता है।
ऐसे भी कुछ अपने पड़ोसी हैं जो तरक्की की राह में आगे निकल गए।
अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए छोड़ कर चल दिए।
सर्च हमारा भी बनता है उसे अकेले ना जाने दे।
अपनी सुरक्षा तो है उसे सुरक्षित कर लेते।
तरक्की करना अच्छी बात है पर उसके साथ कुछ गलत ना होने दें
हर समस्या का निवारण मात्र विचारों से होता है।
मतभेद भुलाकर एक साथ चलें पड़ोसी ऐसे ही तो होते हैं।
एक दोस्त की तरह उसकी गलतियों को बताते रहे।
कहते हैं अगर सुबह का भूला शाम को लौट कर घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते
हम आपस में मित्र हैं कहीं एक परिवार
कहीं तीसरे के आने के कारण रिश्तो को खत्म नहीं करते।
शौक का नशा थोड़े दिनों का होता है आपस का प्यार इससे कहीं गुना अच्छा होता।
अब तो सीमाएं भी अलग नहीं होने देती जो भी होगी शांति चाहती है
रिश्तो की मिठास के लिए दोस्ती का पैगाम देती है
अच्छे पड़ोसी हमेशा साथ खड़े रहते हैं आपस की समझ तुझसे ही मित्र बने रहते हैं।
नक्शे में कई मकान है सीमाओं पर लकीरें अलग अलग कर देती हैं। ना तुम दूर हुए और ना हम दूर हो हो पाए
समय के बदलते हुए दौर में हम दोनों ही थोड़े मजबूर हुए हैं।
भविष्य की चाहत में अपनों में बैर बना बैठे समय की इस खालीपन में हम क्यों अपनों से दूर हो गए।
दीवारों के कुछ झरोखों से तेरी सूरत देख जाती है
नफरत की फसलों को ना बोल इसे बंजर ही रहने दे
उम्मीदों के बीज बचा कर रखें आने वाले पीढ़ी के लिए,
अपने पड़ोसियों के घर में एक दिया जलाकर रखें
एक घर मेरे बगल में है वह अपना सा लगता है
🌹 Rkumar,🌹
Very nice.
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंVery nice 👌
जवाब देंहटाएंThanks please share ur links on my post
हटाएंTruly inspiring. Visit my blog: www.ovasabi.com.ng
जवाब देंहटाएंThanks ok
हटाएंnice 👌
जवाब देंहटाएंNice content
जवाब देंहटाएंKeep it up bro
जवाब देंहटाएंBahut hi badhiya
bohot khub huzur
जवाब देंहटाएंShukriya hujur badi der Kar Di aane mein nigahen taras film is bhare jamane
हटाएंNice
जवाब देंहटाएंNice work
जवाब देंहटाएंThanks everyone give me support
जवाब देंहटाएंNice lines...you are such a wonderful poet...ek ghar jo apna lagta hai
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