समझौता नहीं हमने हर एक परिस्थितियों से लड़ना सीखा है, हार कर भी जीतना सीखा है।
हर माहोल में चलना सीखा है, कुछ पल के लिए डगमगा गए कदम क्या हमारे पर हमने गिर कर संभलना भी सीखा है।
कुछ पल के लिए खामोश हो गए ऐसा नहीं की चुप हो गए। उस खामोसी आने वाले तूफान को देखा है।
वक्त हैं गुजर जाएगा समझौता नहीं हमने हर एक परिस्थितियों से लड़ना सीखा है।
हर संभवत कोशिश कर लिया पर परिणाम हमारे अनुकूल ना था
हर चहरे को रोते देखा कहते है,हम हार गए पर हमने तो आपने सपने को खोते देखा कोई नहीं सायद इससे अच्छा होगा
हर रात के चार पहेर होते हैं,अंधेरा छट जाने के बाद सवेरा होता है।
जो बीत गया वो कल था आने वाले भविष्य सुनहेरा होगा।
माना कि मज़हबी बन जाते हैं।
क्योंकि हर दिल में वही बसता है।
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