माना हो गई गलती सुधार भी जरूरी है।
मानवता का हनन ना हो इसीलिए प्रदर्शन भी जरूरी है।
वक्त वक्त पर यह क्यों इतिहास दोहराते हैं
नस्लवाद भरा जहर मानव के जीवन में फैलाते हैं।
रंग लहू का एक ही है इसे क्यों भूल जाते हैं।
गोरे काले का भेद मिटा कर क्यों नहीं मानवता अपनाते हैं।
माना हो गई गलती पर सुधार भी जरूरी है।
प्रदर्शन करो यह अधिकार तुम्हारा है।
शांति को अपनाओ क्योंकि मानवता ही धर्म हमारा है।
हिंसात्मक होकर समस्या का हल नहीं निकलता
विचार विमर्श कर के प्रदर्शन को यह अधिकार तो है। ताकत के आगे झुकती दुनिया है पर हिंसा नहीं एक मात्र सहारा है।
लौट चले अपने अपने घर को यह देश तुम्हारा है।
माना हो गई गलती पर सुधार जरूरी है।
प्रदर्शन कितने घर जल जाते हैं।
उन मासूम चेहरों का क्या जो बेगुनाह होकर भी सजा पाते हैं।
क्यों जनसैलाब उग्र होकर भूल जाता है।
नस्लभेद नहीं मानवता ही एक सहारा है।
जिस देश के नागरिकों क्षति पहुंचाते हैं।
जलता रहा शहर गली वीरान होगी।
माना हो गई गलती पर सुधार भी जरूरी है।
नफरत की आग में, देश सुलगता रहा।
जिसके साथ यह घटना हुआ वो परिवार तो अकेला ही खड़ा रहा
अत्याचार अपनी चरम सीमा पर आकर राजनीति का शिकार बन जाता है।
उस परिवार को भूला कर लोग आंदोलन पर उतर जाते हैं।
न्याय दिलाने के लिए फिर आगे आते हैं ।
लेकिन कुछ शरारती तत्व उसमें हिंसा फैलाते हैं।
देश को क्षति मत पहुंचाओ क्योंकि यह देश तुम्हारा है।
प्रदर्शन शांति से करो ये अधिकार तुम्हारा है।
मानवता का हनन ना हो इसीलिए प्रदर्शन भी जरूरी है।
वक्त वक्त पर यह क्यों इतिहास दोहराते हैं
नस्लवाद भरा जहर मानव के जीवन में फैलाते हैं।
रंग लहू का एक ही है इसे क्यों भूल जाते हैं।
गोरे काले का भेद मिटा कर क्यों नहीं मानवता अपनाते हैं।
माना हो गई गलती पर सुधार भी जरूरी है।
प्रदर्शन करो यह अधिकार तुम्हारा है।
शांति को अपनाओ क्योंकि मानवता ही धर्म हमारा है।
हिंसात्मक होकर समस्या का हल नहीं निकलता
विचार विमर्श कर के प्रदर्शन को यह अधिकार तो है। ताकत के आगे झुकती दुनिया है पर हिंसा नहीं एक मात्र सहारा है।
लौट चले अपने अपने घर को यह देश तुम्हारा है।
माना हो गई गलती पर सुधार जरूरी है।
प्रदर्शन कितने घर जल जाते हैं।
उन मासूम चेहरों का क्या जो बेगुनाह होकर भी सजा पाते हैं।
क्यों जनसैलाब उग्र होकर भूल जाता है।
नस्लभेद नहीं मानवता ही एक सहारा है।
जिस देश के नागरिकों क्षति पहुंचाते हैं।
जलता रहा शहर गली वीरान होगी।
माना हो गई गलती पर सुधार भी जरूरी है।
नफरत की आग में, देश सुलगता रहा।
जिसके साथ यह घटना हुआ वो परिवार तो अकेला ही खड़ा रहा
अत्याचार अपनी चरम सीमा पर आकर राजनीति का शिकार बन जाता है।
उस परिवार को भूला कर लोग आंदोलन पर उतर जाते हैं।
न्याय दिलाने के लिए फिर आगे आते हैं ।
लेकिन कुछ शरारती तत्व उसमें हिंसा फैलाते हैं।
देश को क्षति मत पहुंचाओ क्योंकि यह देश तुम्हारा है।
प्रदर्शन शांति से करो ये अधिकार तुम्हारा है।
Nice
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंV nice
जवाब देंहटाएंGreat content
जवाब देंहटाएंUnique article buddy
जवाब देंहटाएंKeep going on
Waiting for another blog
Pls provide your links
हटाएंThanks everyone such good support me
जवाब देंहटाएं