रविवार, 7 जून 2020

2020

इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा है।
 इस 2020 मैं जीवन की नई किरण की आशा को देखा है।
कितने ईमानदार हैं हम अपनों के प्रति गैरों को छोड़ो
अपनों के बीच प्रेम की लालसा को देखा है।
इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा है।
कुछ सपनों की शुरुआत तुरंत नहीं होती
बहुत दिन लग जाते हैं सवारन में,
पल-पल सजग करता रहा वक्त हमें
किंतु हम भागते रहे अपनों के लिए
अनजाने में कितने ही गलत काम किए
पर दोस्त कभी खुद को दिया ही नहीं
जब वक्त ने हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा किया
तो दोष  कुदरत पर ही मड दिए।
इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा हूं

पल पल खामोशी ने घेरा है
अंदर रहने के लिए बाहर लोगों का पहरा है।
कभी आंखों से चेहरे का दीदार कर लेते थे
अब रुख पर नकाब का पहरा है।
अब तो आने वालों से सतर्कता जरूरी है।
ना मिल सके अपनों से यह भी तो मजबूरी है।
2020 में जीवन की नई परिभाषा को देखा है
इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा है।

समस्या एक नहीं 2020 के सीजन में,
कहीं आकाश से तो कहीं धरती पर भूकंप ने डाला अपना डेरा है।
कभी तूफान दस्तक  देता है तो कभी बाहरी आक्रमण ने हमें घेरा है।
सब कुछ मिलाकर देखो इस बार निपटा कर ही मानेंगे
डर मौत का नहीं हमें इस 20-20 के सीजन में,
इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा है।

4 टिप्‍पणियां:

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