शनिवार, 6 जून 2020

राहगीर

इरादे बुलंद हो अगर हर दूरी कम पड़ जाती है।
जीने की चाहत के लिए हर मुश्किल से लड़ जाती हैं।
राही इतनी आसान नहीं सफर ए जिंदगी की
मुश्किलों में जीने की चाहत कभी खत्म होती नहीं
इरादे बुलंद हो अगर तो हर दूरी कम हो जाती है।


बहुत दर्द छुपाया है इन आंखों में पर कुछ जुबां से कहते नहीं
पर आंसू बनकर बह जाते हैं इन नैनों से कई हाथ उठे सहारे के लिए लेकिन सफर में चलते चलते वह भी गुम हो गए कहीं इन राहों में ,।
मन में एक खामोशी लिए चलते रहे बस अपनों के लिए
सफर मुश्किलों भरा था पर चलते रहें हम इन राहों पर,
इरादे बुलंद हूं अगर हर दूरी कम पड़ जाती है।


कितनी ही दूर क्यों ना हो मंजिल मेरी बस मुश्किल भरे पथ पर चलते ही जाते हैं।
सुबह की रोशनी शाम के अंधेरे में जीने की उम्मीद लिए बस चलते ही जाते हैं।
कई राहगीर मिले राहों में वो भी दर्द को लिए साथ में चलते हुए कदमों के निशान पीछे छोड़े जाते हैं।
ये दर्द एक का ही नहीं उन सभी के जीवन का हिस्सा है जो अपने पीछे कुछ उम्मीदों के प्रश्न छोड़ जाते हैं।
इरादे बुलंद हो अगर हर मुश्किल दूरी कम पड़ जाती है।
,.           😊 Keep smile forever 😊

8 टिप्‍पणियां:

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