गुरुवार, 4 जून 2020

प्रकृति

बेजुबान के ऊपर अत्याचार करे ना जाने किस चीज की अभिलाषा है।
पत्थर दिल वाला ही होगा जिसे समझ में नहीं आती प्रेम की भाषा
यह जीवन चक्र है यह हर पल को दोहराती है।
प्रकृति हर पल का हिसाब लेती है संरक्षण और दोहन दोनों ही अपनाती है।
यह जीवन चक्र है जो हर पल को दोहराती है।

 अभी समझ नहीं आया तो नवीनतम घटनाओं का अध्ययन कर लो
 अनजाने  जीवाणु ने पूरी दुनिया को रुलाया है।
न जाने कितने सो गए मौत की आगोश में अभी तक कोई नहीं बच पाया है।
कितने ही बेजुबान ऊपर अत्याचार करें मरने के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया
प्रकृति हर पल का हिसाब लेती है संरक्षण और दोहन दोनों ही अपनाती है।
यह जीवन चक्र है जो हर पल को दोहराते हैं।



प्रत्येक वस्तु का विकास एवं विस्तार जरूरी है ।
पर दोहन की रणनीति अपना अपनाएं यह कैसी मजबूरी है।
जब तक प्रकृति का हनन  होगा तब तक मानव जाति का विनाश होगा
भूल जाते हो की तुम नहीं कोई और ही उसे चलाता है।
तुम जरिया हो उसके प्रकृति तो उसका एक सहारा है।
यह जीवन चक्र है हर पल को दोहराते हैं।

बेजुबानो का सदा सम्मान करो।
विस्तार वाली रणनीति को छोड़कर बेजुबान ओं का सम्मान करो।
प्रकृति ने सभी को सामानता का अधिकार दिया।
लेकिन कुछ लोग लालच में आकर उसको ही बर्बाद किया
बना लिया आशियाना उसने पूरे जंगल को काट कर।
जब आई अपनी जान पर तो पेड़ पौधों को लगाने का ध्यान किया
सुधार कर लो नहीं तो आने वाली इस बार तुम्हारी बारी है
प्रकृति हर पल का हिसाब लेती है संरक्षण और दोहन दोनों ही अपनाती हैं ।

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