रविवार, 17 मई 2020

विश्वास

विश्वास किस पर करें।
आंखों से बहते हैं आंसू पर
या फिर उनकी बातों पर
आंखें हर एक राज बयां कर देती हैं।
जो लबो ने उनसे छुपाया हो,
विश्वास किस पर करें।

विश्वास करे गलतियों पर
या गलती करने वालों पर
उंगली किस पर उठाई जाए जुल्म करने वालों पर
या फिर जुल्म सहने वालों पर
खामोश जुबा है पर आंखों से सच्चाई नहीं छुपाई जाती
विश्वास किस पर करें ।

विश्वास किसका करें।
लोगों के मुस्कुराते चेहरे पर
या हैवानियत भरी निगाहों पर
दर्द सभी को होता है कोई हंसकर सह लेता है ।
कोई दर्द में डूबा रहता है
इस दर्द में हर कोई फायदा उठाते है
विश्वास किस पर करें।

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