मुसाफिर हु निकला पड़ा हूं अपनी मंजिल की तलाश में ,
दरबदर भटक रहा हूं अपनी ही तलाश,
थक हार कर थोड़ा सा आराम कर लू अभी वक्त कहता है कि चलना तो काफी है तुझे अपनी मंजिल की तलाश में,
ऐसा कि नहीं मैं अनभिज्ञ हूं क्या करूं अभी जाना है मुझे बहुत दूर अपनी मंजिल की तलाश
मंजिल पा लूं तो तृष्णा मिल जाएगी फिर भी चलते ही जाना है
क्योंकि मुसाफिर हूं निकला हूं अपनी मंजिल की तलाश में
पग पग पर कठिनाइयां आई मन में कई विचार आए
छोड़ दे अपनी चाहत को ठहर जा कुछ देर के लिए
त्याग दे अपनी मंजिल की तलाश को
लड़ता रहा मैं अपने ही आपसे क्योंकि लड़ाई मेरी है जीतो जाऊंगा मैं
मुसाफिर हूं निकला हूं मैं अपनी मंजिल की तलाश में,
कभी ना खत्म होने पाली यह जंग है
जब तक कि जिस्म में जान है
हंस तो सभी का होना है लेकिन जीवन चक्र से वे दस्तूर जारी रहे
मैं नहीं तो कोई और होगा जो निकलेगा अपनी मंजिल की तलाश में
मुसाफिर हूं निकला हूं अपनी मंजिल की तलाश में,
दरबदर भटक रहा हूं अपनी ही तलाश,
थक हार कर थोड़ा सा आराम कर लू अभी वक्त कहता है कि चलना तो काफी है तुझे अपनी मंजिल की तलाश में,
ऐसा कि नहीं मैं अनभिज्ञ हूं क्या करूं अभी जाना है मुझे बहुत दूर अपनी मंजिल की तलाश
मंजिल पा लूं तो तृष्णा मिल जाएगी फिर भी चलते ही जाना है
क्योंकि मुसाफिर हूं निकला हूं अपनी मंजिल की तलाश में
पग पग पर कठिनाइयां आई मन में कई विचार आए
छोड़ दे अपनी चाहत को ठहर जा कुछ देर के लिए
त्याग दे अपनी मंजिल की तलाश को
लड़ता रहा मैं अपने ही आपसे क्योंकि लड़ाई मेरी है जीतो जाऊंगा मैं
मुसाफिर हूं निकला हूं मैं अपनी मंजिल की तलाश में,
कभी ना खत्म होने पाली यह जंग है
जब तक कि जिस्म में जान है
हंस तो सभी का होना है लेकिन जीवन चक्र से वे दस्तूर जारी रहे
मैं नहीं तो कोई और होगा जो निकलेगा अपनी मंजिल की तलाश में
मुसाफिर हूं निकला हूं अपनी मंजिल की तलाश में,

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