जिंदगी कभी ख्वाब है या है एक पहेली।
जिंदगी कभी ख्वाब है या है पहेली
कभी संग है तो कभी अकेली
कभी संग है तो कभी अकेली
तन्हा होकर क्यों तन्हा नहीं रहे।
पास होकर भी कभी हमारे नहीं हुए।
जिंदगी ख्वाब है या है एक पहेली।
आंखों में कई सपने होते हैं।
फिर क्यों अरमानों की आग में जलते हैं।
क्या साथ था और क्या छूट गया
मुड़कर कभी देखा नहीं।
जिंदगी ख्वाब है या है पहेली
कभी संग है तो कभी अकेली।
गैरों के लिए जियो यारों अपने तो अपने
गैरों का अगर साथ मिले वो भी तो अपने है।
खुशियां तो मिल ही जाएंगे जब किसी और के लिए जियो
जिंदगी में खुश रहने के लिए कोई वजह तो हो।
जिंदगी ख्वाब है या है एक पहेली
कभी संग है तो कभीअकेली।
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