छोटे सपने थे उनमें खुश रहते थे।
खुशहाल था परिवार मेरा जब हम छोटी-छोटी खुशियों में हम खुश रहते थे।
दौड़ तरक्की आया सब जगने लगे
अरमानों के पंख लगा कर हम सब उड़ने लगे।
खुशियों की चाहत में अपनों से दूर होने लगे।
खुशहाल था परिवार में जब हम छोटी-छोटी खुशियों में खुश रहते थे।
जीवन बदल गया आमदनी होने लगी।
सपने तो बड़े हो गए पर जीवन में उधारी होने लगी।
Credit or debit का खेल ऐसा खेला।
जिंदगी में लोस होने लगी।
खुशहाल का परिवार मेरा जब हम छोटी-छोटी खुशियों में जब हम खुश रहते थे ।
हर वस्तु लोन पर लेने लगे
सुख सुविधाओं की कमी सी होने लगी।
हर वस्तु की किस्त चुकाते हुए अब जिंदगी किस्तों पर चलने लगी
क्रेडिट और डेबिट का खेल ऐसा खेला
जिंदगी में लोस होने लगी।
खुशहाल था परिवार मेरा जब हम छोटी-छोटी खुशियों में जब हम रहते थे।
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