सोमवार, 18 मई 2020

दो पल का भी आराम नहीं।

जिंदगी की इस रेस में हर कोई दौड़ जा रहा है।
मुकाम पाने की जीदो जहद में जिंदगी को भूलता जा रहा हूं।
अपनी चाहत किश्ती में बैठकर दुनिया को पाना चाहता है
जिंदगी की रेस में हर कोई दौड़ता जा रहा है।

राह इतनी आसान नहीं जो मिल जाए हर मुहाफिज को मंजिल
जिंदगी की तलाश खुद को भूलता जा रहा हूं।
दो पल का भी आराम नहीं बस चलता ही जा रहा है।
 जिंदगी की रेस में हर कोई दौड़ता ही जा रहा है।

न जाने कब रुखसत कर रहे जिंदगी से
दरकार बस इतनी है खुश रहे जिंदगी मुझसे
खुशियों को ढूंढते ढूंढते।
जिंदगी की इस रेस में हर कोई बस करता ही जा रहा है

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