रविवार, 31 मई 2020

दिल्लगी

💓मोहब्बत से मुखातिब खाते थे पर इश्क से हमें डर लगता था।
देखते थे जब हम अपने को आईने में प्यार का अश्र दिल में कहीं घर कर रखा था।
👩‍❤️‍👨न ने कब उनके रूबरू हो गए दिल कब उनका हो गया है यह भी पता ना चला।

💔अंजाम मोहब्बत मालूम था मुझको आंखों की गुस्ताखियां की मोहब्बत किया और उन्हें रोने ना दिया।💦

बहुत समझाया हमने💓 दिल को वो कभी💞 तुम्हारे नहीं होंगे फिर भी दिल ने तो दिल्लगी कर रखी थी और हमें रातों को सोने ना दिया।🛌
दिल ने शिद्दत🙏 से की मोहब्बत -2 उनको पाने की पर वो किसी और के जहनसीब हो गए।
शायद दिल के दरिया में मोहब्बत की कश्ती का सफर यहीं तक  का था
💞दिल तो दिल्लगी कर रखी थी। इसीलिए और किसी का हमें होने ना दिया।,,👸

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