अक्सर बेटी की चाहत होती हैं।
बेटा ही सब कुछ हो ऐसा भी होता नहीं
बेटी भी घर की शोभा होती है।
फिर क्यों बेटे की चाहत में बेटियों का गला घोट देते हैं।
महकता है आंगन उनका भी जिनके घर बेटियां होती हैं।
अपने ही लाभ के कारण छोड़ देते हैं दामन जिसका
बेटियां थाम लेती हैं हाथ उनका भी,
फर्क है उन लोगों की सोच में,
क्यों फिर बेटे की चाहत में बेटियों का गला घोट देते हैं।
सोच बदल कर देखो अपनी
उस घर में कितनी खुशियां होती है।
जिस घर में बेटियां होती है।
स्वर्ग बना देती है छोड़ के आंगन अपने पिता का
जो दूसरे का दामन थाम लेती है।
बेटियां हैं तो घर की शोभा होती है।
फिर क्यों बेटे की चाहत में बेटियों का गला घोट देते हैं।
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