मंगलवार, 30 जून 2020

💰💰पैसे की अहमियत 💰💰

 
💰 पैसों चमक देखकर आंखों में सपने जग जाते हैं।
उसकी खनक के आगे घुंघरू की आवाज भी फीकी पड़ जाती है।
तपीश का असर तो देखो यारों गैरों को भी भनक लग जाती है
पैसे की चमक को देखकर आंखों में सपने जग जाते हैं।,💸


झुकी नजर👁️ देखने वाले ही 👀आंख दिखा कर चलने लग जाते हैं।
भाषा की मर्यादा को बुलाकर बदतमीजी पर उतर आते हैं।
गर्मी किस बात की पता नहीं पर असर तो दिख जाता है।
पैसे की चमक को देखकर लोगों के देखने का नजरिया बदल जाता है।

💰बड़ी गर्मी होती है इस पैसों  में रिश्तो को जलाकर खाक कर देती है।
निशान पड़ जाते हैं 💔दिल कमें इन पैसों की वजह से
दीवारों को चुनवा कर हवा को रोक देते हैं।
मौत के आने पर क्यों यह खामोश हो जाते हैं।
 किराए पर ले आते हैं। आंसू बहाने वाले को
 अजीब है, लोग उनआंसुओं की कीमत लगा देते हैं।
बड़ी गर्मी होती है, इन पैसों में रिश्तो को जलाकर राख कर देती है।


💰पैसों की चमक को देखकर बेगाने से हो गए।💸
रिश्ते भी अब नए से पुराने हो गए।
हर रिश्तो की कीमत लगाई जाती है।
भूल जाता है रिश्तो की अहमियत पैसों की चमक को देखकर।

दूरियां मिट जाती है पैसों की महक को सुघकर
जहर पीकर शरीर नीला पड़ जाता है।
पैसे के नशे में इंसान जानवर बन जाता है।
आंखों पर पट्टी बांधकर अब शिकार किया जाता है।
कैसे की चमक को देखकर लोगों के देखने का नजरिया बदल जाता है।


😪आंसू दे बिकते हैं ख्वाहिश खरीदी जाती है।
जमीर को मार कर यहां  इंसानियत बेची जाती है।
नशा कैसा भी हो उतर जाता है।
 पर यह पैसे की खुमारी नहीं मिटती  है।
पर दौलत को देखकर इंसान बदल जाता है।


💰पैसों को देखकर जमाना छोड़ो अपने ही दुश्मन बन जाते हैं।
समय के इस पहलू भाई भाई का दुश्मन बन जाता है।
पैसों के खातिर अपनों से बिगाड़ मत कर लेना।
धन दौलत में कमी एक दिन हो जाएगी।
किंतु अपने हमेशा साथ आएंगे

💰पैसों इस खनक को सुनकर कहीं अपनों से दूर मत जाना
रिश्तो की कीमत पैसों से बड़ी होती है इसे जरूर निभाना।
पैसों के नशे में आज फरेबी बन गए।
भूल गए उन कदमों की आहट। और आज मतलबी बन गया।
पैसों के इस  नशे ने तुम्हें अकेला कर दिया।
उसकी चाहत में तुम्हें अपनों से दूर कर दिया।
पैसे के इस मैं नशे ने तुम्हे  मतलबी बना दिया।

                         🌹  Rkumar🌹


             💸 Importance of money💸

 Seeing the glow of money, dreams arouse in the eyes.

 Ghughru's voice also fades in front of his tinker.

 See the effect of tapish

 Seeing the glow of money, dreams arouse in the eyes.



 Only those who look at the gaze tend to walk by showing their eyes.

 Calling the dignity of the language, they come down on the wrongdoing.

 What is not known about the heat can be seen.

 Seeing the brightness of money changes the way people see.

 It is very hot, in this money, the relationship is burnt.

 Scars fall due to these money

 The walls are blocked by wind.

 Why do they become silent when death comes.

 Bring on rent.  To the one who tears

 Weird, people put the price of those tears.

 There is a lot of heat, in this money, the relationship burns to ashes.



 Seeing the glare of money, he became immature.

 Relationships also became old to new.

 Every relationship is valued.

 One forgets the importance of relationship by seeing the brightness of money.


 Distances disappear by smelling the smell of money

 The body turns blue after drinking poison.

 A human being becomes intoxicated by money.

 Blindfolding is now hunted.

 Seeing the brightness of how people see.



 Ansu is sold and wishes are bought.

 Humanity is sold here by killing Jamir.

 No matter how intoxicated it becomes.

 But this money does not disappear.

 But a person changes by seeing wealth.



 Seeing money, leave the world and become your own enemy.

 This aspect of time becomes brother's enemy.

 Do not spoil your loved ones for money.

 Money will decrease one day.

 But will always come with us


 Don't listen to this tinker and get away from your loved ones

 The cost of a relationship is bigger than money, it must be fulfilled.

 Drunk of money has become fraudulent today.

 Forget those steps.  And today he became a meanie.

 This money addict made you alone.

 In his desire, he turned you away from your loved ones.

 This intoxication of money made you mean.


 🌹 Rkumar🌹

रविवार, 28 जून 2020

🍇संतुलित आहार 🍇

"भोजन आत्मा को संतुष्ट कर देता है और मन को नया  ऊर्जा देता है।"

जीवन शैली

            आजकल की जीवन शैली में हम लोगों के पास इतना समय नहीं रह गया कि हम लोग संतुलित आहार ग्रहण कर सकें। क्योंकि हम लोग बहुत ही व्यस्त हो गए हैं।
जिसके कारण आज हम लोग अधिकतर दवाइयों का सेवन करते हैं और उसके आदी हो गए हैं।

                                           संतुलित आहार में कई प्रकार के विटामिन प्रोटीन आदि तत्व पाए जाते हैं। लेकिन हम उसे ना खाकर दूषित भोजन खाते हैं जैसे कि आज के समय में और बाजार में मिल जाता है जिसका उपयोग करके हम लोग या हमारे  बच्चों का मिट तो जाता है। लेकिन धीरे-धीरे कहीं ना कहीं हम लोग एक अनजानी बीमारी के शिकार होते जा रहे हैं ।और शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है।
उस पोषक तत्व की कमी को पूरा करने के लिए हमें दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है और हम और बीमार पड़ जाते हैं।

आज के दौर में हम अपने आप को केवल एक खाली शरीर लेकर चल रहे हैं जिसके कारण कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आ जाती है उस गिरावट को पूरा करने के लिए हमें संतुलित भोजन करना चाहिए।



 संतुलित आहार,

                    आहार श्रृंखला में सबसे अधिक पर पोस्टिक माना जाता है हम नहीं आज सभी जानते हैं आज विश्व में भी यह प्रमाण दिया है।  संतुलित आहार  यह रोगों से लड़ने में अति उपयोगी होता है।



असंतुलित भोजन


                      हमारे जीवन में एक मेहमान की तरह आया और हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया और हम सभी इसके आदि हो तो चले गए शरीर में रोग को आने की अनुमति दे दिया और धीरे-धीरे रोगों से लड़ने की क्षमता घटती गई।




योगा एवं व्यायाम

                      जीवन में रोग मुक्त होने के लिए व्यायाम अति आवश्यक है। संतुलित भोजन के साथ साथ हमें व्यायाम और योगा निरंतर करते रहना चाहिए इससे शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है।

Immunity को बढ़ाने वाले आहार,
हमारे यहां यूनिटी को बढ़ाने के लिए बहुत सारे पदार्थ एवं तत्व हैं जैसे की हल्दी अदरक शहद तुलसी इत्यादि
यह सभी हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं और हमारे शरीर को सुरक्षित रखते हैं।



हल्दी

हमारे देश में आज बहुत सी ऐसी उपयोगी खाद्य पदार्थ है। जिसके  सेवन करके हम अपने जीवन को सुरक्षित रख सकते हैं और आने वाली बीमारियों से लड़ सकते हैं




शुक्रवार, 26 जून 2020

,⚖️ जुर्म इंतेहा इतनी है।⚖️

अब किसी का खौफ नहीं बस अपनी मनमानी करते हैं
🔥जलता रहा शहर मेरा सत्ताधारी मोन रहे🤫
कुर्सी के लालच में ना जाने कितने गुनाह लोग करते रहे।
गुनाह करते रहे बेखौफ होकर और हम आपस में लड़ते रहे।
लुटती रही अस्मत यहां के गलियारों में,
गुनाहगार खुले आम घूमते रहे अब यहां के बाजारों में,
अब इंसानियत नहीं जमीर भी मर गया।
अब तो किसी का खौफ नहीं बस अपनी मनमर्जी करते हैं।

हर चीज यह बिक जाती है। बस खरीदार चाहिए।
जिसका रसूख जितना है उसको इतनी रियायत मिल जाती है।
अब जुल्म वहां होता है जहां कानून पनाह देता है
कानून की आंखों पर पट्टी लगी है इसीलिए वह सबूत की बात करता है।
बेगुनाहों को मिल जाती है सजा और गुनहगार खुलेआम घूमता रहता है।
जमीर को मारकर यह व्यवसाय किया जाता है।
लोगों को मरने के लिए छोड़ देते हैं बस अपना मुनाफा देखा जाता है।
हर चीज यहां बिक जाती है बस खरीदार चाहिए।
अब तो किसी का खौफ नहीं बस अपनी मनमर्जी करते हैं।

कीमत यहां कपड़ों की नहीं अब तो जिस्मों को देखा जाता है।
मरने की तो बात की बात है यहां तो जिंदा लोगों को मारा जाता है।
कीमत मिल जाए बस यही चाहिए सामान चाहे जैसा हो।,
डर का व्यापार है और डरा के किया जाता है।
हर चीज बिक जाती है। बस खरीदार चाहिए।

 अब तो जिंदगी का सौदा ऐसे होता है। जैसे कि एक छोटी सी बात है।
कम कीमत देने वालों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है।
यहां पर सामान्यता का अधिकार बस एक छलावा है।
मौत इतनी सस्ती हो चुकी है। जिंदा रहते ही खरीदा जाता है।
घर का व्यापार है और डराते किया जाता है।
अब किसी का फोटो बस अपनी मनमर्जी करते हैं।
जुर्म करने की इंतिहा बस इतनी है अब हर कोई जुर्म करता जाता है।


          ,🌹🌹  Rkumar,🌹🌹
English conversation poetry

 No one is afraid of anyone anymore

 शहरThe city keeps burning, my ruling Mohan.

 Not knowing how many people have been committing the greed of the chair.

 The crime continued without fear and we kept fighting among ourselves.

 There was a lull in the corridors here,

 Criminals roamed freely in the markets here,

 Now Jamir, not human, also died.

 Now nobody is afraid of anyone but just do what they want.

Everything is sold out.  Just want the buyer.

 Whose influence is as much, he gets such a concession.

 Now oppression is where the law harbors

 The law is blindfolded, which is why it speaks of evidence.

 The innocents get the punishment and the accused roam freely.

 This business is done by killing Jamir.

 People are left to die just to see their profits.

 Everything sold here is just what the buyer wants.

 Now nobody is afraid of anyone but just do what they want.

 Prices are not seen here, but the clothes are seen now.

 It is a matter of dying here, then people alive are killed.

 You get the price just like what you want.

 Fear is traded and fear is carried out.

 Everything is sold.  Just want the buyer.

Now life's deal is like this.  Like it's a small thing.

 Those giving lower prices are viewed with hatred.

 The right to generality here is just a smokescreen.

 Death has become so cheap.  It is bought while alive.

 There is home trade and intimidation is done.

 Now someone's photo is just the way they want it.

 There is a lot of crime to be committed, now everyone keeps committing the crime.

सोमवार, 22 जून 2020

👪 परिवार। 👨‍👨‍👧

,
👨‍👨‍👧 मुझे याद है आप के बटुए में, कुछ पैसे हुआ करते थे।
कुछ ख्वाब अधूरे हैं, मेरे मन के उसे पूरा कर लाते थे।
अभी बस उंगली पकड़ कर  चलना सीखा है।
जीवन के इस पहले पड़ाव बस अभी तो खेलना सीखा है।
अभी लबों पर मुस्कान हैं। शब्दों को बोलना सीखा।
पहले कदम की आहट अभी गिरकर चलना सीखा है।
अभी बस उंगली पकड़कर चलना सीखा है।👣

🤱मां की दुनिया हूं मैं और मेरा आसमान हो तुम।
मां ने मुझे जन्म दिया है। लेकिन मेरे जन्म का आधार हो तुम।
तुम से ही सीखा है,मैंने मेरी पहली मुस्कुराहट के साथ जीना।
कहते हैं, अगर मां।जमीन है,तो मेरे आसमान हो तुम।
अभी बस उंगली पकड़कर चलना सीखा है।

मां ने जन्म दिया उसका कर्ज कभी नहीं उतार पाऊंगा।
पिता के फ्रिज को ताउम्र न भुला पाऊंगा।
आप दोनों ही हमारा संसार हो, हम एक हैं ,यही तो हमारा परिवार है।
मुझे याद है आप क बटुए में कुछ पैसे हुआ करते थे।
 थोड़े थे , पर वह भी हमारे लिए हुआ करते थे । हम खुश होते थे पर कहीं ना कहीं उदासी रहती थी मन में वह भी हमसे छुपाया करते थे।
मुझे याद है आपके बटुए में कुछ पैसे हुआ करते थे।

ले आते थे सब कुछ हम खुश हो जाया करते थे।
मां प्यार से लाती थी और आप हमें जगा कर खिलाया करते थे।
न जाने कब जी समय मुट्ठी से फिसल गया।
हम नहीं भूले पर वक्त कहीं थोड़ा सा बदल गया।
कंधे पर थोड़ी मजबूरी आ गई।
कभी आपने किया था हम सबके लिए अब हमारी बारी आ गई।
शायद वक्त ने यह हमें बात बता दिया।
मां और पिता का प्यार क्या होता है यह हमें सिखा दिया।
कुछ रिश्ते की बुनियाद प्यार से होती है।
वो छोटी सी खुशी हमारे लिए कितनी बड़ी होती है।
मुझे याद है, आप के बटुए में कुछ पैसे हुआ करते थे।
 थोड़े थे लेकिन वह भी हमारे लिए हुआ करते थे

ऐसा ही छोटा संसार हमारा है।
जिनके आंखों के तारे हैं हम।
हर दुआ उसकी मानी जाती है।
जिनके घर मां और बाप स्त्री को इज्जत दी जाती है।
हर कोई सम्मान पाने का हक रखता है।
बहुत थे अरमान हमारे तुम सब पूरा कर लाते थे।
मुझे याद है आप के बटुए में कुछ पैसे हुआ करते थे ।
थोड़े थे लेकिन वह भी हमारे लिए हुआ करते थे।

         ☘️ Rkumar 🍀,

 ,

 4 in English

 याद👨👧 I remember you used to have some money in your wallet.
 Some dreams are incomplete, my mind used to bring it to completion.
 Just learned to walk with just a finger.
 This first stage of life has just been learned to play.
 There are smiles on the lips right now.  Learned to speak the words.
 The sound of the first step has just been learned to fall.
 Just learned to walk with just a finger.

 I am your world and you are my sky.
 Mother has given birth to me.  But you are the basis of my birth.
 I have learned from you, I live with my first smile.
 It is said that if mother is land, then you are my sky.
 I have just learned to walk by holding my finger.

 The mother gave birth, I will never be able to repay her debt.
 I will not be able to forget my father's fridge.
 You both are our world, we are one, this is our family.
 I remember you used to have some money in a wallet.
 There were some, but he used to be there for us too.  We used to be happy but there was sadness somewhere and he used to hide it from us.
 I remember there used to be some money in your wallet.

 We used to get everything happy.
 Mother used to bring us with love and you used to wake us up and feed us.
 Don't know when the time slipped by the fist.
 We did not forget, but time changed a little bit.
 There was some helplessness on the shoulder.
 Once you did it, now it is our turn for all of us.
 Perhaps time has told us this.
 Teached us what is the love of mother and father.
 Some relationships are founded on love.
 That small happiness is so big for us.
 I remember, there used to be some money in your wallet.
 There were a few but that used to be for us too

 Such a small world is ours.
 Whose eyes are our stars.
 Every prayer is considered his.
 Whose mother and father are respected in the house.
 Everyone deserves respect.
 There were many desires that all of you used to bring.
 I remember you used to have some money in your wallet.
 There were few but he also used to be for us.

 ☘️ Rkumar 🍀

शनिवार, 20 जून 2020

,⛰️ सरहद। 🗻

,
🏞️ सरहद हमेशा खामोश रहते है। किंतु कभी अपनी खामोशी जताते नहीं।🤭
देश और दुनिया का विस्तार हुआ पर हम अभी अपने को एकांत पाते हैं।
लोगों ने हमको सीमाओं में, बांट दिया। एक दायरे में सिमट कर रह गए।
फिर भी हम खामोश है।
सीमाओं के लोगों ने आपस में, यह कैसा षड्यंत्र रचा।
आज हमारी जमीन पर बस युद्ध लड़े जाते हैं।
सरहद हमेशा खामोश रहते हैं किंतु अपनी खामोशी नहीं जताते हैं,🤭


🗻 ,हमने कितनी ही हलचल देखा अपनी सरजमीं पर।
न जाने कितने अपने लोगों को मरते देखा है।
कितने ही जख्म दिए अपने लोगों ने फिर भी हम खामोश रहे।
अपने इन नजरों से न जाने कितनी सभ्यताओं को जोड़ते देखा है।
पर हम खड़े रहे। हर गुजरती रातों में अपने आप को ढलते देखा है।
सरहद हमेशा खामोश रहते हैं किंतु अपनी खामोशी नहीं जताते हैं,🤭 



🌍 दुनिया बदल गई लेकिन हमने लोगों को चलते देखा है।
जब खामोश हो जाती हैं , सरहदें तो उन पर हलचल होने लगती हैं।
अपने पड़ोसियों के लिए जलन और सीमाओं पर दूरियां होने लगती है।
भूल जाते हैं बेरहम इंसान कि हम कभी पड़ोसी हुआ करते थे।
लेकिन आज के दौर में हम लड़ते रहते हैं।
सरहद हमेशा खामोश रहते हैं किंतु अपनी खामोशी नहीं जताते हैं।,🤭


🏔️ बहुत दर्द  है, मेरी खामोशी मैं मैंने लोगों को मिट्टी में मिलते देखा है।
मेरी खामोशी का दर्द कोई समझ नहीं पाता।
इसीलिए हम गिराने में रहते हैं, बस्ती या कहीं दूर जाकर बस्ती और हम एकांत खड़े रहते हैं।
बस कुछ ही लोग हैं जो हमारा दर्द समझते हैं।
जो अपने सरहद की सुरक्षा के लिए हमारे गोद में रहते हैं।,🤺
वही तो मेरा परिवार है जिसे हम सैनिक कहते हैं।
इस वीरान पड़े धरती पर वह मेरी संतान है।
मेरी रक्षा करते हैं मैं उनकी रक्षा करता हूं।
सरहद हो गई सब खामोश रहते हैं किंतु अपनी खामोशी नहीं जताते ⛰️
                             🥀Rkumar🥀
                                     🙏



गुरुवार, 18 जून 2020

मूलभूत आवश्यकता

जीवन में मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तु जुटाते रहे इससे आगे कभी बढ़कर देखा ही नहीं।
मंदिर मस्जिद के आगे कभी बढे ही नहीं।
शांति का उपदेश दिए और नफरत फैलाते रहे।
जातिवद वंशवाद विचारों में, ही फंस फंसे रहे।
जीवन में मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तु जुटते रहे इससे आगे कभी  बढे ही नहीं।

देश में उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के बीच की दूरियां बढ़ती रही।
भूख की कमी को मिटाने की कोशिश नहीं की जनता को बेवकूफ बनाते रहे।
लगे रहे वो अपनी किस्मत चमकाने में।
बना लिया घर अपना दूसरों को लूट के खाने में।
फायदा हुआ चंद लोगों को बाकी सब बेकार हुए।
जो बेकसूर थे अब वही  गुनहगार हुए।
जीव में मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तु जूट रहे इससे आगे कभी बढे ही नहीं।

आपस में ही राजनीति करते रहे सरोकार के जोरों पर।
अपने फायदे की राजनीति करते रहे देश को अंधेरे में डालकर।
अब समझ में आया कि कुछ मुद्दे बहुत जरूरी है।
देश के आंतरिक मामले एवं सेवाएं बहुत जरूरी है।
देखा है मैंने अपने देश के लोगों को सेवाओं के अभाव में मरते।
कुछ तो लाइनों में लगकर और कुछ सड़कों पर चलते चलते।
इस विपदा की घड़ी में फिर भी साथ खड़े रहे।
बहुतों को खो दिया है। हमने इन सेवाओं के अभाव के चलते।
हम आपस में लड़ते रहे। अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए।
स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति की कमी है।
सरकार और संस्थाओं को आपस में मतभेद करते देखा।
जनता की लाचारी इतनी है पहले बेरोजगारी थी ऊपर से जानलेवा बीमारी है।
अस्पतालों की लाचारी देखो अपनों को बचाने में लगे रहे।
कुछ लोग उन पर ही उंगली उठाते रहे।
जीवन के मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तु जुटाते रहे रहे इससे आगे कभी बढ़कर देखा ही नहीं।

इस बार का बस मुद्दा ये ही होना चाहिए।
देश की सुरक्षा और स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता हो
1 दिन उपवास करके रह सकते हैं।
लेकिन सुरक्षा और स्वास्थ्य के बिना आगे हम नहीं लड़ सकते हैं।
अब लोगों को जागरूक होना है। देख लो विकसित अर्थव्यवस्था भी हार गई।
वह तो काबिल थे अपनों को बचाने के लिए पर जागरूक नहीं थे, इसीलिए वह भी हार गए।
काबिलियत की कमी नहीं है। लेकिन वह भी इस समस्या के आगे लाचार हो गए।
इसीलिए जागरूक होना ,भी जरूरी है। आने वाले भविष्य के लिए।
हम लड़ते रहे, मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तुएं जुटाने के लिए।

सोमवार, 15 जून 2020

" 🤐*** खामोशी ***,,🤐

खामोश कर गया तू हमको कुछ तो बात छुपाई तुमने हमसे,
क्या कीमत चुकाई उस आंचल की जो तूने उसे भी असहाय किया।
कर गया तू इतनी बड़ी गलती जो तू हमें भूल गया क्यों
एक बंद पड़े कमरे की खामोशी ऐसा क्या पाया  था । तुमने
करके हम सबको तन्हा जब मिले इस बच्ची को गले लगाया था
ना आई तुझे उन आंखों की याद जिसने तुझे रातों को लोरी गाकर सुनाया था।
अच्छा किया तूने जो सब कुछ भूल गया।
कुछ फर्ज कभी अधूरे थे कंधे पर बैठाकर तुझे घूमा करते थे।
फिर तो तूने हमें कंधा देने के लिए अकेला छोड़ गया क्यों?
इस बंद पड़े कमरे की खामोशी ऐसा क्या तूने पाया था!

बहुत कुछ बांटा था हमने कुछ दर्द भी बांट लिया होता।
छोड़कर जाने से पहले इतना तो सोच लिया होता।
निर्णय लेने का यह अधिकार तेरा नहीं हम तेरे आखिर प्यारे थे।
कुछ तो दर्द अपना हमसे बयां किया होता।
कुछ तो बातों का हल निकाल लेते हम दोनों मिलकर
क्यों फिर तुमने अपने को अकेला समझ लिया।
तुझे तो पता भी नहीं कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी हमको।
न जाने कितनी राते अब खामोशी में बितानी पड़ी हमको।
एक बंद पड़े कमरे की खामोशी ऐसा क्या तुमने पाया था।

आंखें नम हो गई हमारी जब तेरा यह पैगाम आया।
खो गई दुनिया हमारी जब तूने हमें गले लगाने से बेहतर तूने उस रस्सी को पाया।
आजकल में तो यह आम बात हो गई।
अपने दर्द को छुपाने के लिए यह तो आखरी रास्ता नहीं।
रास्ते तो बहुत है पर ना जाने क्यों उस पर चलते नहीं
सभी प्रश्नों का हल है पर क्यों उन्हें करते नहीं
क्यों खामोश हो जाती हैं हर धड़कन क्यों वह बातें करते नहीं।
अपनों के बीच रहते हुए क्यों अकेले यह निर्णय कर लेते हैं।
उस बंद पड़े कमरे की खामोशी ऐसा क्या तूने पाया था।

अपने पीछे कई प्रश्नों को तू छोड़ गया।
पता होता कि तू ऐसे जाएगा क्यों कभी तुझे अपने से दूर ना जाने दिया होता।
सही कहते हैं कि कमा लिया तूने धन दौलत और सुख सुविधाओं की कमी ना हुई सब चैन कहीं खो गया
भीड़ तो खड़ी रही उस रास्ते पर पर तू अकेला हो गया।
चल तुझे तो मिल गया होगा उस बंद पड़े कमरे की खामोशी में,
न जाने कितनी बातों को अब दिल से मिटाना होगा
तू तो खुश है उस जहां में, अब हमें तेरी यादों में रोना होगा।
उस बंद  पड़े कमरे की खामोशी ऐसा क्या तूने पाया था

                                 R kumar.

शनिवार, 13 जून 2020

जल का महत्व जीवन के लिए।

धरातल की गहराई शीतल धारा की तरह बहती  हूं। मैं,
पानी से पूछा मैंने कि तेरी तासीर है क्या जीवन में,
मन को शांत कर देती हैं और तन को शीतल कर देती है।
तृष्णा मिटाती हूं मैं प्राणी के जीवन में, सबके लिए मूल्यवान
 हूं ।मैं,
जल की ही धारा ने प्रकृति को सुंदर बनाया हर एक के जीने की चाह हूं। मैं,
धरातल की गहराई में शीतल धारा की तरह रहती हूं। मैं,


बूंद बूंद से बन कर मेरी जलधारा का निर्माण हुआ
जब मैं आई वसुंधरे में। तो लोगों का कल्याण हुआ।
नदियों की गोद में मैं खेलती शीतल धारा की तरह बहती हूं।
 मैं,
निरस है प्राणी मेरे बिना मेरी ही हर बुद लोगों को जीवन देती हूं । मैं,
सेवा की भावना मुझसे ही उत्पन्न हुई लोगों की प्यास बन कर।
धरातल की गहराई में शीतल धारा की तरह बहती हूं। मैं,

उद्गम हुआ जब मेरा मैं पर्वत पठार नदियों झीलों में रहती हूं मैं।
मेरी ही शीतल धारा के कारण लोगों की प्यास बुझती है।
 वन उपवन है,सब हरा भरा और हरियाली मुझसे ही फूलती और फलती है।
सभ्यता का जब विस्तार हुआ मेरे ही जल धारा के किनारे उसका विकास हुआ।
मैं ही जीवन देने वाली बनी प्रकृति के संग मैं चलती रही
मेरे ही एक बूंद से जीवन का निर्माण हुआ।
धरातल की गहराई में शीतल धारा की तरह बहती हु। मैं,

एक दौर तरक्की का आया मैं भी साया बनकर चलने लगी।
मानव ने अपना विस्तार किया और मेरा अस्तित्व कहीं ढलने लगा।
सूखते चले गए जहां जहां जहां मेरा उद्गम हुआ।
मानव ने अपने महत्व के आगे मेरी धारा को दूषित किया।
समय जैसे-जैसे बढ़ता गया मानव जाति से दूर को चली
पहले थी में धरातल की गोद में अब मैं वहां से भी सूखते चली।
आने वाले वक्त में मैं अपना ही अस्तित्व को ना बचा पाऊंगी।
जीवन तो रहेगा पर की परिभाषा बस रहे जाएगी ।
धरातल की गहराई में शीतल धारा की तरह बहती हूं। मैं,

अभी कुछ नहीं गया थोड़ा सा जतन कर लो।
जागरूक हो जाओ और जल को बचाने का प्रयत्न कर लो।
धरातल पर जल तो होगा पर उसने मिठास ना होगी।
जल तो बहुत है पर खारा है उसे पीने से प्यास नहीं  बुझेगी
नदियों को संरक्षण कर उसे दूषित होने से बचा लो।
अपने इस वसुंधरे को  प्रदूषण से मुक्त कर दो।
जल की हर बूंद को जीवन का अभिन्न अंग मानकर सुरक्षित कर लो।
जलधारा की बस इतनी सी यही कहानी है।
अपने लिए नहीं तो आने वाले भविष्य के लिए सुरक्षित कर लो।
धरातल की गहराई में शीतल धारा की तरह रहती हूं ।मैं,


गुरुवार, 11 जून 2020

हौसला


हौसला रखो यह भी वक्त गुजर जाएगा
गुजरते हुए वक्त में कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी।
यह भी वक्त के साथ दफन हो जाएगा।
वक्त के साथ चलते-चलते बस इतनी कमी रह जाएगी।
वक्त तो बित ही जाएगा बस कुछ लोगों की कमी रह जाएगी
आंखें नम होंगी हर एक की आंसू पोछने  वालों की कमी हो जाएगी।
परिवार तो रहेंगे इसमें खुशियों की कमी हो जाएगी।
हौसला रखो यह वक्त भी गुजर जायेगा।

कितने ही दर्द से गुजर ना होगा।
कितनी ही रातें यू ही काली हो जाएगी।
सवेरे की चाहत में रात को नींद ना आएगी।
आने वाला कल कैसा होगा यह भी पता नहीं।
हर गुजरते हुए वक्त में बस यादें रह जाएंगी।
न जाने कितनी तकलीफ से हमें वक्त के साथ गुजरना होगा।
यह वक्त ही बताएगा
हौसला रखो यह वक्त भी गुजर जायेगा।

जब देखता हूं मैं दुनिया का यह मंजर आंखें मेरी भी नम हो जाती है।
कभी किसी का साथ ना छोटे यह रीत पुरानी है।
हम रहे या ना रहे बस इतना कर जाएं।
गुमनामी के अंधेरे में खोने  से पहले कुछ अच्छा करता ह।
 कुछ ऐसा कर जाए जिसे कि दुनिया याद करें
 जो हो गया है उसे बदल नहीं सकते
बस हम अपनों के आने वाले खतरों से सुरक्षित कर जाए।
क्यों सोचते हो कि कोई आएगा हमें बचाने यह ख्यालात पुराने हैं।
कदम से कदम मिलाते चलो बस यही तो बताना है।
हौसला रखो यह भी वक्त गुजर जाएगा

बिखर के टूट गए हैं जो उनको हौसला दिलाना है।
अभी जिंदगी का अंत नहीं हुआ यह उन्हें बताना है
यह एक बुरा सपना है इसे भी 1 दिन मिट जाना है।
मत डरो अपने अंत से एक दिन सबको ही जाना है।
कुछ पल के लिए जिंदगी खामोश हो जाती है।
लेकिन जिंदगी का सफर तो चलते ही जाना है।
 खुशी और गम जिंदगी का एक अफसाना है।
हौसला रखो यह भी वक्त गुजर जाएगा।

दर्द भरे इस लम्हों में बस साथ चाहिए।
पल भर की खुशी मिल जाए बस यही काफी है।
कितनों को खो चुकी है ये आंखें बस उनको एहसास दिलाना है।
लड़ रहे अभी अपनी जिंदगी से हम न जाने कितनों को और
गवाना है।
कुछ तो गलती की है हमने, आगे हमें इन गलतियों से सीखते जाना है।
अपनों को खोने का दुख वही जानता है जिसने अपनों की जान गवाई है
भटकता हुआ मुसाफिर है दर्द भरे लम्हों का ओ साथी।
क्यों खामोश है वह जुबा जिसने यह लापरवाही फैलाई है।
लड़ नहीं रहे अकेले हम। जिंदगी में कि हमसे रुसवाई है।
हौसला रखो यह वक्त भी गुजर जाएगा।

बुधवार, 10 जून 2020

शिक्षा


शिक्षा शिक्षा ने हमारे जीवन का विस्तार किया।
जीवन को सुंदर बनाएं शिक्षा नहीं हमें नए-नए तरीके सिखाए ज्ञान से ही विज्ञान की तरक्की हुई, शिक्षा के वरदान से दुनिया को नई दिशा में तरक्की हुई।
किंतु युग परिवर्तन के इस दौर में सब कुछ व्यापार सा हो गया है।

शिक्षा नई ऊंचाइयों को छू लिया किंतु कुछ लोगों के हाथों तक की तुझे सीमित रह गया।
अब बच्चों की किस्मत के साथ यह कैसा खिलवाड़ हो रहा है कितना दे सकता है अभिभावक अब बस जेब को देखा जा रहा है।
किंतु शिक्षा इस बदलते दौर में अब व्यापार करने की संस्था हो गई है।


 प्राचीन काल में शिक्षा एक शभय समाज का उसके लिए वरदान था।
गुरू के  मुख से निकले हुए वचन पत्थर पर लिखी एक लकीर जैसा थी ।
किंतु वर्तमान में बस यह सब एक दिखावा सा लगता है।
 गुरु की महिमा अब किताबों में कहीं खो गई।
शिक्षा बस लोगों के जीवन व्यापार करने की एक संस्था हो गई हैं।

 विज्ञान ने विकास किया पर शिक्षा कहीं इसके अधीन हो गई। पहले लिखते पढ़ते थे किताबों से अब किताबें भी मॉडल हो गई।
किंतु अब किताबों की रौनक थोड़ी सी फीकी हो गई।
 फिर भी किताबें आज भी अपने वजूद पर कायम है। कि फिर फिर भी किताबों ने कभी समझौता नहीं किया बस गलती इंसानों से हो गई।
किंतु शिक्षा के बदलते इस दौर में अब व्यापार करने की संस्था हो गई है।
  नई तकनीकी के इस दौर को अपनाना भी जरूरी है।
 शिक्षा ही जीवन है, और शिक्षित होना जरूरी है।
शिक्षा ज्ञान का भंडार है, इसे व्यापार ना बनाओ किंतु इसका प्रसार बहुत जरूरी है।
 शिक्षा ही दुनिया का वह हथियार है, जो ज्ञान के बिना दुनिया अधूरी है।
शिक्षा के इस लेनदेन के चक्कर में कितने मासूम बच्चों को वंचित किया।
 शिक्षा ही जीवन के नई राह दिखाती है।
 इसको व्यापार की श्रेणी में मत रखो शिक्षित होना बहुत जरूरी है।
 विद्या ही विद्यार्थी का जीवन है। शिक्षा बिना विद्यार्थी का जीवन अधूरा है।
 किंतु शिक्षा के बदलते दौर में व्यापार करने की संस्था हो गई है।
                     R kumar

मंगलवार, 9 जून 2020

अधूरी चाहत


तेरी मोहब्बत क्षेतिज की तरह है ,प्यार मिलता है ।
कहीं दूर जाकर भी  प्यार मुकम्मल नहीं होता।
दिल की दीवानगी पर अब किसी और  के नजरों का पहरा है।
छुपा के रखा है,दर्द अपने दिल में, ये  दुनिया क्या जाने कि प्यार  दिल में कितना गहरा है।
मोहब्बत की बातें  ये क्या जाने जो बंद निगाहों से देखा करते हैं।
लबों को कुछ कहने की जरूरत नहीं ये आंखें सब बयां करती हैं, दिले ए हाल का.
तेरी मोहब्बत क्षेतीज की तरह है, प्यार मिलता है।
कहीं दूर जाकर ही प्यार मुकम्मल नहीं होता।

कुछ तो नशा तेरी आंखों का है,जो मुझे कभी तन्हा नहीं रहने देता है।
मैं मदहोश रहता हूं। तेरे इश्क का असर कुछ ऐसा है।
ये सुरूर है तेरे इश्क का जो मुझको कभी बहकने नहीं देता।
तेरी यादें मुझे मदहोश कर देती हैं। और तेरा इश्क मुझे किसी और का होने नहीं देता।
तेरी मोहब्बत क्षेतिज तरह है, प्यार मिलता है।
कहीं दूर जाकर भी प्यार मुकम्मल नहीं होता ।

जिक्र कहीं होगा मोहब्बत के अफसाने का तो नाम लबों पर मेरा ही होगा।
कुछ पल के लिए ही सही वह वक्त हमारा ही होगा
कुछ तो कमी रही होगी हमारी मोहब्बत में, जो हम उन दूरियों को मिटा ना पाए ।
जब भी कभी जिक्र होता है। तेरे नाम का इस दिल के दरमियां प्यार तेरा ही होगा।
तेरी मोहब्बत क्षेतिज की तरह है, प्यार मिलता है।
 कहीं दूर जाकर भी प्यार मुकम्मल नहीं होता ।

मदहोशी का आलम इस कदर छाया रहता है।
 हर जर्रे में तेरी सूरत नजर आती है।
जिक्र करता हूं। अपनी मोहब्बत की दास्तां कभी आईने से तो वो भी मुझे तेरी याद दिलाता है।
पल भी थम जाए तेरी यादों में, लेकिन याद नहीं जाती दिल से
आंखों का क्या कसूर जो रोती रही तेरी याद में ,रातों को
तेरी मोहब्बत छेतिजा की तरह है प्यार मिलता है।
 कहीं दूर जाकर भी प्यार मुकम्मल नहीं होता।

सोमवार, 8 जून 2020

प्रदर्शन

माना हो गई गलती सुधार भी जरूरी है।
मानवता का हनन ना हो इसीलिए  प्रदर्शन भी जरूरी है।
वक्त वक्त पर यह क्यों इतिहास दोहराते हैं
नस्लवाद भरा जहर मानव के जीवन में फैलाते हैं।
रंग लहू का एक ही है इसे क्यों भूल जाते हैं।
गोरे काले का भेद मिटा कर क्यों नहीं मानवता अपनाते हैं।
माना हो गई गलती पर सुधार भी जरूरी है।
प्रदर्शन करो यह अधिकार तुम्हारा है।
शांति को अपनाओ क्योंकि मानवता ही धर्म हमारा है।
हिंसात्मक होकर समस्या का हल नहीं निकलता
विचार विमर्श कर के प्रदर्शन को यह अधिकार तो है। ताकत के आगे झुकती दुनिया है पर हिंसा नहीं एक मात्र सहारा है।
लौट चले अपने अपने घर को यह देश तुम्हारा है।
माना हो गई गलती पर सुधार जरूरी है।


 प्रदर्शन कितने घर जल जाते हैं।
उन मासूम चेहरों का क्या जो बेगुनाह होकर भी सजा पाते हैं।
क्यों जनसैलाब उग्र होकर भूल जाता है।
नस्लभेद नहीं मानवता ही एक सहारा है।
जिस देश के नागरिकों क्षति पहुंचाते हैं।
जलता रहा शहर गली वीरान होगी।
माना हो गई गलती पर सुधार भी जरूरी है।


नफरत की आग में, देश सुलगता रहा।
जिसके साथ यह घटना हुआ वो परिवार तो अकेला ही खड़ा रहा
अत्याचार अपनी चरम सीमा पर आकर राजनीति का शिकार बन जाता है।
उस परिवार को भूला कर लोग आंदोलन पर उतर जाते हैं।
न्याय दिलाने के लिए फिर आगे आते हैं ।
लेकिन कुछ शरारती तत्व उसमें हिंसा फैलाते हैं।
देश को क्षति मत पहुंचाओ क्योंकि यह देश तुम्हारा है।
प्रदर्शन शांति से करो ये अधिकार तुम्हारा है।


रविवार, 7 जून 2020

2020

इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा है।
 इस 2020 मैं जीवन की नई किरण की आशा को देखा है।
कितने ईमानदार हैं हम अपनों के प्रति गैरों को छोड़ो
अपनों के बीच प्रेम की लालसा को देखा है।
इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा है।
कुछ सपनों की शुरुआत तुरंत नहीं होती
बहुत दिन लग जाते हैं सवारन में,
पल-पल सजग करता रहा वक्त हमें
किंतु हम भागते रहे अपनों के लिए
अनजाने में कितने ही गलत काम किए
पर दोस्त कभी खुद को दिया ही नहीं
जब वक्त ने हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा किया
तो दोष  कुदरत पर ही मड दिए।
इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा हूं

पल पल खामोशी ने घेरा है
अंदर रहने के लिए बाहर लोगों का पहरा है।
कभी आंखों से चेहरे का दीदार कर लेते थे
अब रुख पर नकाब का पहरा है।
अब तो आने वालों से सतर्कता जरूरी है।
ना मिल सके अपनों से यह भी तो मजबूरी है।
2020 में जीवन की नई परिभाषा को देखा है
इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा है।

समस्या एक नहीं 2020 के सीजन में,
कहीं आकाश से तो कहीं धरती पर भूकंप ने डाला अपना डेरा है।
कभी तूफान दस्तक  देता है तो कभी बाहरी आक्रमण ने हमें घेरा है।
सब कुछ मिलाकर देखो इस बार निपटा कर ही मानेंगे
डर मौत का नहीं हमें इस 20-20 के सीजन में,
इस कालखंड की अद्भुत रचना को देखा है।

शनिवार, 6 जून 2020

राहगीर

इरादे बुलंद हो अगर हर दूरी कम पड़ जाती है।
जीने की चाहत के लिए हर मुश्किल से लड़ जाती हैं।
राही इतनी आसान नहीं सफर ए जिंदगी की
मुश्किलों में जीने की चाहत कभी खत्म होती नहीं
इरादे बुलंद हो अगर तो हर दूरी कम हो जाती है।


बहुत दर्द छुपाया है इन आंखों में पर कुछ जुबां से कहते नहीं
पर आंसू बनकर बह जाते हैं इन नैनों से कई हाथ उठे सहारे के लिए लेकिन सफर में चलते चलते वह भी गुम हो गए कहीं इन राहों में ,।
मन में एक खामोशी लिए चलते रहे बस अपनों के लिए
सफर मुश्किलों भरा था पर चलते रहें हम इन राहों पर,
इरादे बुलंद हूं अगर हर दूरी कम पड़ जाती है।


कितनी ही दूर क्यों ना हो मंजिल मेरी बस मुश्किल भरे पथ पर चलते ही जाते हैं।
सुबह की रोशनी शाम के अंधेरे में जीने की उम्मीद लिए बस चलते ही जाते हैं।
कई राहगीर मिले राहों में वो भी दर्द को लिए साथ में चलते हुए कदमों के निशान पीछे छोड़े जाते हैं।
ये दर्द एक का ही नहीं उन सभी के जीवन का हिस्सा है जो अपने पीछे कुछ उम्मीदों के प्रश्न छोड़ जाते हैं।
इरादे बुलंद हो अगर हर मुश्किल दूरी कम पड़ जाती है।
,.           😊 Keep smile forever 😊

फेम की मदहोशी

  यौवन   : वो मौसम जिसको आना तो एक बर हैं। समय के             साथ बिखर जाना भी हैं।         खूबसूरत कलियों को देख भोरे खींचे चले आते है।    ...